आज की नारी
जिंदगी को जनम देती है नारी
उसके अमूल्य योगदान से ही ये दुनिया चलती है सारी
घर बाहर दोनों काम बखूबी संभाल लेती है
परिवार के दुःख-सुख को प्यार से सवांर देती है
घर की धुरी बन जाती है नारी
जिसके चारों और है परिवार की जिम्मेदारी
आज की नारी ने अपनी शक्ति को पहचाना है
इसलिये ये पुरुषों द्वारा बनाया समाज घबराया है
अपनी मेहनत और बुद्धि से अपना मनोबल बढाया है
पुरुषों के कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है
हर छेत्रमें उनसे आगे बढ़ रही है
आज की नारी ने अपना आत्मसम्मान जगाया है
इसलिये पुरुषों के अत्याचार के खिलाफ नारा लगाया है
दोहरी जिम्मेदारियां उठा रही है वोह
ग्रहस्थी के साथ-साथ पैसे भी कमा रहीं है वोह
पुरुष जब उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक पाया है
तब उसे अपनी ताकत का भय दिखाया है
पुरुष की ताकत के आगे कमजोर है वो
इसलिये उसके अत्त्याचार सहने को मजबूर है वो
भले ही आज सरकार ने कितने कानून बनाए
पर समाज के डर से कहाँ तक अमल हो पाए
चाहे दुनिया २१वी सदी में जा रही है
पर नारी का शोषंड आज भी जारी है
आपस में एकता बनाकर अपनामान समाज में बढाना है
आपस में सहयोग और प्रेम बढाकर
हर नारी को शोषंड से बचाना है
क्योंकि हम नारी नहीं है अब 'अबला'
हम तो बन चुकी हैं 'सबला'