जहाँ दूर तक खुली फिजां हो
हरी भरी वादियाँ हो
नदियाँ और झरने हों
चहचहाते पंछी और फूल हों
दूर तक फैली हरियाली हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
किसी भूखें बच्चे का रोना ना हो
किसी औरत की बेबसी ना हो
किसी पर अत्याचार ना हो
कहीं भ्रष्टाचार ना हो
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ हर तरफ शांति सुकून हो
पुलकित प्रफुलित चेहरे हों
और जहाँ हो सिर्फ
प्यार-प्यार-प्यार
No comments:
Post a Comment